The Definitive Guide to sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
This Mantra is created in the form of a discussion among a Expert and his disciple. This Mantra is understood to become The main element to the peaceful state of brain.
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं here सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
विच्चे चा ऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।